अगर पुलिस वाला आपकी रिपोर्ट लिखने से मना कर दे, तो आपको क्या करना चाहिए|Police FIR Na Likhe To Kya Kare?

इस ब्लॉग पोस्ट में हमने Police FIR Na Likhe To Kya Kare? विभिन्न तरीकों के बारे में बताया है जिनसे आप अपने विरुद्ध हुए अपराध की रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं। यदि पुलिस वाला आपकी रिपोर्ट लिखने से मना कर देता है, तो आपको क्या करना चाहिए, इसके बारे में भी हमने जानकारी प्रदान की है। यह ब्लॉग आपकी जानकारी और जागरूकता को बढ़ाने में मदद करेगा।

दोस्तों अगर पुलिस किसी मामले में आपकी FIR दर्ज नहीं करती है तो आपके पास दो ऑप्शन है

  • पहला की आप DSP को बोलिए,अगर ये नहीं सुनते है,तो आप लोकल एसपी को सीधे ही लिखित में शिकायत कर सकते हैं |
  • और दूसरा जुडीशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास की कोर्ट में जाकर आप अपना मामला दर्ज करवा सकते हैं। सीधे ही मैजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकते हैं| मैजिस्ट्रेट इनको आर्डर देकर FIR लिखवा सकता है,या खुद FIR लिख देगा (अनुच्छेद 156) और जाच का आदेश भी दे सकता है|

अगर पुलिस वाला रिपोर्ट लिखने से मना कर देता है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

  1. सूचना अधिकार अपील: आप सूचना अधिकार अधिनियम के तहत अपील कर सकते हैं और पुलिस से विवरण मांग सकते हैं कि उन्होंने रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी। आपको यह अधिकार होता है कि आप सरकारी विभागों से जानकारी मांग सकते हैं।
  2. पुलिस अधीक्षक तक पहुंचें: यदि आपकी सूचना अधिकार अपील भी जवाब नहीं देती है, तो आप पुलिस अधीक्षक के पास जा सकते हैं और उन्हें अपनी समस्या समझा सकते हैं।
  3. नागरिक समाधान पोर्टल: कई राज्यों में नागरिक समाधान पोर्टल होता है जिसके माध्यम से आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह इंटरनेट पर ऑनलाइन समाधान प्रदान करने के लिए बनाया गया होता है।
  4. यदि फिर भी आपकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है या शिकायत नहीं लिख रहा है तो आप CrPC के सेक्शन 156 (3) के अंतर्गत मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट के पास इस बात की शिकायत करने का अधिकार होता है.
  5. मगर सभी थानेदार एक जैसे नहीं होते हैं, कुछ अपवाद भी होते हैं। अगर थानाध्यक्ष आपका एफआईआर लेने से मना कर दे तो इसके लिए बेहद साधारण सा उपाए बताने जा रहा हूँ। जिसको आजमाकर आप बिना किसी वकील के मदद के FIR दर्ज करवा पायेंगे।

एफआईआर का फुल फॉर्म “First Information Report” होता हैं। यह भारतीय कानूनी प्रक्रिया में एक प्रमुख दस्तावेज होता हैं,जो कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 से निकल कर आता है। जिसको हिंदी में प्राथमिकी कहा जाता है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के अंतर्गत इसे संज्ञेय मामलों की इत्तिला कहा गया है। जिसे अपराध की जानकारी और उसके संबंधित घटनाओं की पुलिस को सूचित करने के लिए प्रस्तुत किया जाता हैं।

FIR कैसे लिखवाएं ?
FIR कैसे लिखवाएं ?

फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट (FIR) लिखवाने के लिए आप निम्नलिखित स्टेप्स का पालन कर सकते हैं:

कोई भी व्यक्ति पुलिस के पास अपनी शिकायत लिखित या मौखिक तौर पर दर्ज करवा सकता है. हर व्यक्ति को इस बात का अधिकार है. लेकिन अक्‍सर पुलिस ऐसा करने से इनकार कर देती है

  1. रिपोर्ट दर्ज करने के स्थान पर पहुंचें: FIR लिखवाने के लिए नजदीकी पुलिस थाने पर पहुंचें। आप रिपोर्ट दर्ज करने के लिए अपने थाने का पता इंटरनेट या नगर निगम की वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं।
  2. थाने के द्वारा दिए गए फॉर्म को भरें: आपको थाने में जाने पर पुलिस अधिकारी आपको फॉर्म देगा, जिसमें रिपोर्ट के लिए आवश्यक जानकारी दर्ज करनी होगी। यह जानकारी आपके और आपके परिवार के ज़रूरी विवरण, घटना के समय, तारीख, स्थान, घटना का संक्षेपिक विवरण और अपराधी(ओं) के बारे में होगी। यह फॉर्म ध्यान से भरें और सभी जानकारी सही और सटीक दें।
  3. रिपोर्ट को समझें और पूरा करें: FIR फॉर्म में दी गई जानकारी को समझें और उसमें अभी तक घटित हुई घटना के अनुसार सभी सम्बंधित विवरण दर्ज करें। ध्यान दें कि आप अपनी शिकायत को सटीकता से प्रस्तुत कर रहे हैं।
  4. रिपोर्ट देने का अधिकार: आप फॉर्म भरकर रिपोर्ट देने का अधिकार हैं। पुलिस अधिकारी आपकी रिपोर्ट दर्ज करने के लिए इनकार नहीं कर सकता हैं।
  5. अपनी रिपोर्ट की एक कॉपी रखें: रिपोर्ट दर्ज होने के बाद, एक प्रति या रसीद प्राप्त करें जिसमें FIR नंबर दिया होगा। इसकी एक कॉपी अपने पास रखें और इसकी सही प्रति पुलिस अधिकारी को भी दे दें।

ध्यान दें कि FIR दर्ज करवाने से पहले अपनी शिकायत के संबंध में सच्चाई और सटीकता बरतें, क्योंकि गलत या फर्जी रिपोर्ट करना कानूनी दंडनीय अपराध हो सकता है। इसलिए, सच्चाई पर ध्यान दें और बाकी सभी कदम भी ध्यान से पूरा करें।

फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट (FIR) लिखवाने के लिए आप निम्नलिखित स्टेप्स का पालन कर सकते हैं:

  1. रिपोर्ट दर्ज करने के स्थान पर पहुंचें: FIR लिखवाने के लिए नजदीकी पुलिस थाने पर पहुंचें। आप रिपोर्ट दर्ज करने के लिए अपने थाने का पता इंटरनेट या नगर निगम की वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं।
  2. थाने के द्वारा दिए गए फॉर्म को भरें: आपको थाने में जाने पर पुलिस अधिकारी आपको फॉर्म देगा, जिसमें रिपोर्ट के लिए आवश्यक जानकारी दर्ज करनी होगी। यह जानकारी आपके और आपके परिवार के ज़रूरी विवरण, घटना के समय, तारीख, स्थान, घटना का संक्षेपिक विवरण और अपराधी(ओं) के बारे में होगी। यह फॉर्म ध्यान से भरें और सभी जानकारी सही और सटीक दें।
  3. रिपोर्ट को समझें और पूरा करें: FIR फॉर्म में दी गई जानकारी को समझें और उसमें अभी तक घटित हुई घटना के अनुसार सभी सम्बंधित विवरण दर्ज करें। ध्यान दें कि आप अपनी शिकायत को सटीकता से प्रस्तुत कर रहे हैं।
  4. रिपोर्ट देने का अधिकार: आप फॉर्म भरकर रिपोर्ट देने का अधिकार हैं। पुलिस अधिकारी आपकी रिपोर्ट दर्ज करने के लिए इनकार नहीं कर सकता हैं।
  5. अपनी रिपोर्ट की एक कॉपी रखें: रिपोर्ट दर्ज होने के बाद, एक प्रति या रसीद प्राप्त करें जिसमें FIR नंबर दिया होगा। इसकी एक कॉपी अपने पास रखें और इसकी सही प्रति पुलिस अधिकारी को भी दे दें।

ध्यान दें कि FIR दर्ज करवाने से पहले अपनी शिकायत के संबंध में सच्चाई और सटीकता बरतें, क्योंकि गलत या फर्जी रिपोर्ट करना कानूनी दंडनीय अपराध हो सकता है। इसलिए, सच्चाई पर ध्यान दें और बाकी सभी कदम भी ध्यान से पूरा करें।

ऑनलाइन FIR कैसे करे
ऑनलाइन FIR कैसे करे ?
  1. कुछ राज्यों में आप ऑनलाइन FIR दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए आप राज्य के पुलिस विभाग की वेबसाइट पर जाएं और ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने के लिए निर्देशों का पालन करें।
    • एफआईआर का शीर्षक और विषय दर्ज करें।
    • घटना का समय, तारीख, और स्थान उल्लेख करें।
    • घटनाक्रम का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
    • अपराधी या अपराधियों के विवरण जितने भी संभव हो, वे

प्रिय/महोदय [थाना प्रभारी]

 सगुना पुलिस थाना,पटना 

मैं रितेश कुमार मेरा पिताजी नाम गणेश द्विवेदी है, इस पत्र के माध्यम से एक घटना की रिपोर्ट दर्ज करवा रहा हूँ।

आज, दिनांक 12/07/23, दोपहर को, मेरे पडोसी रमेश कुमार नशे में धुत थे और उन्होंने घर पर आते ही अपनी पत्नी सीतल देवी को बुरी तरह पीटने लगे। मैं उन्हें बचाने के लिए उनके घर पहुंचा, लेकिन उन्होंने मुझे भी मारा। मेरा नाम राजू कुमार है और मैं सगुण मोड वार्ड नंबर 23 का निवासी हूँ।

मेरे साथ हुए इस घटना का यह सच्ची और सटीक रिपोर्ट दर्ज करने के लिए मैं आपके पास यह पत्र लिख रहा हूँ। मेरे विरुद्ध शारीरिक हमला किये जाने और मेरी जान की खतरे में डालने के लिए आपसे न्यायपूर्वक कार्रवाई करने की अपेक्षा है।

कृपया इस घटना का गंभीरता से संज्ञान लें और उपरोक्त अपराधी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए उचित कदम उठाएं। मेरे सुरक्षा और न्याय की रक्षा करने के लिए आपसे यह विनती है।

आपका विश्वासपूर्व, [आपका नाम]

एफआईआर लिखते समय निम्नलिखित स्टेप्स का पालन करें:

  • एफआईआर का शीर्षक और विषय दर्ज करें।
  • घटना का समय, तारीख, और स्थान उल्लेख करें।
  • घटनाक्रम का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
  • अपराधियों के विवरण जितने भी संभव हो,उतना देने का प्रयास करे|

पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए आप निम्नलिखित स्थानों पर शिकायत दायर कर सकते हैं:

  1. पुलिस स्टेशन: यदि आपको अपने थाने के पुलिस वाले के खिलाफ शिकायत दर्ज करनी है, तो आप सबसे पहले अपने थाने में जाकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यहां पर आपको फॉर्म भरने की ज़रूरत हो सकती है और फिर आपकी शिकायत दर्ज की जाएगी।
  2. ज़िला पुलिस अधिकारी के पास: यदि आपके थाने में आपकी शिकायत दर्ज नहीं होती है या आपको सही जवाब नहीं मिलता है, तो आप ज़िला पुलिस अधिकारी के पास जा सकते हैं। उन्हें आपकी शिकायत सुनाई जाएगी और समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठाएंगे।
  3. प्रशासनिक अदालत: यदि आपकी शिकायत भी ज़िला पुलिस अधिकारी तक पहुंचने से भी सुलझती नहीं है, तो आप प्रशासनिक अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं। इसके लिए आपको वकील की मदद लेनी होगी।
  4. सूचना अधिकार अपील: यदि उपरोक्त सभी कदम नहीं काम आते हैं और आपको इंसाफ नहीं मिलता है, तो आप सूचना अधिकार अपील दायर कर सकते हैं। इसके द्वारा आप सरकारी विभागों से जानकारी मांग सकते हैं और अपनी समस्या का समाधान करवा सकते हैं।

ध्यान दें, शिकायत दर्ज करने से पहले आपको अपनी शिकायत की और गंभीरता को समझना सटीकता से विवरण देना महत्वपूर्ण है। आपकी शिकायत के साथ संबंधित सभी दस्तावेज़ों को संग्रह करें और सभी जानकारी सही और सटीक दें।

यदि Police FIR Na Likhe To Kya Kare? तो आपको क्या करना चाहिए |उपयुक्त कदम को मैंने बताया है। विभिन्न तरीकों के बारे में बताया है| इसके बारे में भी हमने जानकारी प्रदान की है। यह ब्लॉग आपकी जानकारी और जागरूकता को बढ़ाने में मदद करेगा।इससे जुडी कोई भी प्रश्न हो,आप हमसे पूछ सकते है, कमेंट या Contact Us का फॉर्म भर के|

क्या मैं बिना सबूत के एफआईआर दर्ज कर सकता हूं?

ध्यान दें कि FIR दर्ज करवाने से पहले अपनी शिकायत के संबंध में सच्चाई और सटीकता बरतें, क्योंकि गलत या फर्जी रिपोर्ट करना कानूनी दंडनीय अपराध हो सकता है। इसलिए, सच्चाई पर ध्यान दें और बाकी सभी कदम भी ध्यान से पूरा करें।

फ आई आर क्या निरस्त हो सकती है?

एक बार किसी के खिलाफ एफआईआर में नाम दर्ज करने के बाद पुलिस नहीं हटा सकती है।

पुलिस कब किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है?

वह संज्ञेय अपराध है। उसमें आपकी गिरफ्तारी होगी। बिना आपको वारंट दिखाएं।

झूठा मुकदमा दायर करने की सजा क्या है?

किसी व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाना झूठा आरोप होता है। फॉल्स चार्ज लगाना ताकि उसके खिलाफ कोई क्रिमिनल केस चले। अगर किसी ने ऐसा किया है तो आपको बता दूं कि यह सेक्शन टू वन वन आईपीसी के तहत अपराध है। 211 आईपीसी में अपराध है। दो वर्ष के कारावास का प्रावधान है। लेकिन यदि आरोप ऐसा है जिससे कि उस व्यक्ति को जिस पर झूठा आरोप लगाया गया है उसे डेथ पनिशमेंट दिया जा सकता है या लाइफ इम्प्रूवमेंट हो सकता है या सेवन से ज्यादा की सजा हो सकती है तो ऐसे झूठे आरोप लगाने वाले व्यक्ति को भी सात साल तक के कारावास का प्रावधान है। सेवन उसका एंड्रोजन में हो सकता है। एक बात और ध्यान रखें। मामला नॉन कॉग्निजेबल है, बेलेबल है

भारत में ऐसा कौन सा पद है जिसे पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती?

अनुच्छेद 61 के तहत भारत के राष्ट्रपति और राज्यपाल को उनके पद पर रहते हुए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है

सरेंडर करने से क्या फायदा होता है?

इससे आप पुलिस के रिमांड और उनके डंडे से बच जाओगे 

पुलिस केस कब होता है?

कोई व्यक्ति किसी आपराधिक घटना का शिकार होता है, 

FIR कितने दिनों के लिए वैध है?

15 दिन

थाने में रिपोर्ट लिखवा ना क्यों जरूरी है?

जांच का मकसद मामले की पड़ताल और गंभीर अपराध है या नहीं जांचने के लिए |

Fir1 क्या है?

प्रथम सूचना रिपोर्ट(First Information Report) FIR.
पुलिस FIR ना लिखो तो क्या करे?

अपना कीमती समय देने के लिए धनयबाद ,आपको फिर कोई प्रश्न है तो आप बिलकुल कमेंट में हमसे पूछ सकते है या हमे कांटेक्ट भी कर सकते है। और आप सभी का धन्यवाद |

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